बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण को समझाइये।
उत्तर -
न्याय दर्शन का मूल ग्रन्थ महर्षि गौतम का न्याय सूत्र है। इस सूत्र में कुल पाँच अध्याय है। न्याय दर्शन न्याय सम्प्रदाय का प्रतिनिधि हैं इस दर्शन में व्याख्या पद्धति अत्यन्त शास्त्रीय है। इसमें तर्कपूर्वक पूर्व पक्ष का निराकरण कर दिया गया है। अन्ततः न्याय के पक्ष प्रतिष्ठित किया गया है। न्यायसूत्र के पश्चात् न्यायभाष्यों की रचना हुई जिसमें वात्स्यायन ने इसी सूत्र पर न्याय भाष्य नामक ग्रन्थ की रचना की उन्होंने न्याय की व्युत्पत्ति तथा अर्थ निर्धारण करते हुए कहा है कि "प्रमाणैरर्थ परीक्षणं न्याय: " अर्थात् प्रमाणों के माध्यम् से किसी विषय की परीक्षा करना न्याय हैं। उद्योतकर ने 'न्याय वर्तिर्क' वाचस्पति मिश्र ने 'न्यायवर्तिक तात्पर्य टीका' उदयन ने 'न्यायवर्तिक 'तात्पर्य परिशुद्धि' एवं 'कुक्षु मांञ्जलि' तथा जयन्त ने 'न्याय मंड्जरी' आदि ग्रन्थों की रचनाएँ न्याय दर्शन पर की हैं। इनमें न्याय दर्शन के न्याय सूत्रों के विचारों की विशद व्याख्या की गयी है और न्याय सूत्रों पर जो अक्षेप किये गये हैं। उनका प्रबल खण्डन किया गया है। सम्पूर्ण न्याय दर्शन को चार खण्डों में बाँटा जा सकता है। प्रथम खण्ड में प्रमाण सम्बन्धी द्वितीय खण्ड में भौतिक जगत सम्बन्धी तीसरे खण्ड में भौतिक जगत तथा चतुर्थ एवं अन्तिम खण्ड में ईश्वर सम्बन्धी विचार किये जाते हैं।
प्रमाणों में "प्रत्यक्ष प्रमाण" का अत्यन्त महत्व है। 'साक्षात्कारि प्रभाकरणं प्रत्यक्षं' अर्थात् साक्षात्कार करने वाली प्रभा का करण प्रत्यक्ष प्रमाण है। प्रभा के सविकल्प एवं निर्विकल्प भेद से दो भेद होते हैं। प्रथमतः होने वाला ज्ञान निर्विकल्प तथा बाद में होने वाला ज्ञान सविकल्प होता है। इन्द्रियजन्य ज्ञान प्रत्यक्ष होता है। जैसे चक्षु से घर का ज्ञान का होना।
'प्रभाकरणं प्रमाण'
अर्थात् प्रभा का करण प्रमाण कहलाता है। प्रभा के लक्षण में कहा गया है कि 'यथार्थानुभावः प्रभा' अर्थात् यथार्थ अनुभव को प्रभा कहते हैं। जबकि करण कि परिभाषा में कहा गया है कि 'साधकतं करणं' अर्थात् अतिशय साधक की करण संज्ञा होती है। इस तरह से प्रमाणों की सत्ता के सम्बन्ध में न्याय
दर्शन का अपना पृथक दृष्टिकोण है। वह साँख्य एवं मीमांसा सम्प्रदाय दर्शनों से अलग हटकर प्रमाणों की सत्ता स्थापित करता है। प्रमाण तथा मीमांसा में प्रायः छः प्रमाण- क्रमशः प्रत्यक्ष अनुमान शब्द उपमा अर्थोपत्ति तथा अनुपलब्धि माने गये हैं। जिनमें प्रत्यक्ष प्रमाण कर होना प्राय न्याय शार में अति आवश्यक है।
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- प्रश्न- वेद के ब्राह्मणों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद के वर्ण्य विषय का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- किसी एक उपनिषद का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- ब्राह्मण साहित्य का परिचय देते हुए, ब्राह्मणों के प्रतिपाद्य विषय का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'वेदाङ्ग' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शतपथ ब्राह्मण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उपनिषद् से क्या अभिप्राय है? प्रमुख उपनिषदों का संक्षेप में विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संहिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेद से क्या अभिप्राय है? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषदों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋक् के अर्थ को बताते हुए ऋक्वेद का विभाजन कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद का महत्व समझाइए।
- प्रश्न- शतपथ ब्राह्मण के आधार पर 'वाङ्मनस् आख्यान् का महत्व प्रतिपादित कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषद् का अर्थ बताते हुए उसका दार्शनिक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- आरण्यक ग्रन्थों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्राह्मण-ग्रन्थ का अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आरण्यक का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- देवता पर विस्तृत प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तों में से किसी एक सूक्त के देवता, ऋषि एवं स्वरूप बताइए- (क) विश्वेदेवा सूक्त, (ग) इन्द्र सूक्त, (ख) विष्णु सूक्त, (घ) हिरण्यगर्भ सूक्त।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त में स्वीकृत परमसत्ता के महत्व को स्थापित कीजिए
- प्रश्न- पुरुष सूक्त और हिरण्यगर्भ सूक्त के दार्शनिक तत्व की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक पदों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'वाक् सूक्त शिवसंकल्प सूक्त' पृथ्वीसूक्त एवं हिरण्य गर्भ सूक्त की 'तात्त्विक' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त में प्रयुक्त "कस्मै देवाय हविषा विधेम से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- वाक् सूक्त का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त अथवा पृथ्वी सूक्त का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त में वर्णित् वाक् के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त किस वेद से सम्बन्ध रखता है?
- प्रश्न- पुरुष सूक्त में किसका वर्णन है?
- प्रश्न- वाक्सूक्त के आधार पर वाक् देवी का स्वरूप निर्धारित करते हुए उसकी महत्ता का प्रतिपादन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुष सूक्त का वर्ण्य विषय लिखिए।
- प्रश्न- पुरुष सूक्त का ऋषि और देवता का नाम लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। शिवसंकल्प सूक्त
- प्रश्न- 'शिवसंकल्प सूक्त' किस वेद से संकलित हैं।
- प्रश्न- मन की शक्ति का निरूपण 'शिवसंकल्प सूक्त' के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- शिवसंकल्प सूक्त में पठित मन्त्रों की संख्या बताकर देवता का भी नाम बताइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मन्त्र में देवता तथा छन्द लिखिए।
- प्रश्न- यजुर्वेद में कितने अध्याय हैं?
- प्रश्न- शिवसंकल्प सूक्त के देवता तथा ऋषि लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। पृथ्वी सूक्त, विष्णु सूक्त एवं सामंनस्य सूक्त
- प्रश्न- पृथ्वी सूक्त में वर्णित पृथ्वी की उपकारिणी एवं दानशीला प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वी की उत्पत्ति एवं उसके प्राकृतिक रूप का वर्णन पृथ्वी सूक्त के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वी सूक्त किस वेद से सम्बन्ध रखता है?
- प्रश्न- विष्णु के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विष्णु सूक्त का सार लिखिये।
- प्रश्न- सामनस्यम् पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामनस्य सूक्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। ईशावास्योपनिषद्
- प्रश्न- ईश उपनिषद् का सिद्धान्त बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'ईशावास्योपनिषद्' के अनुसार सम्भूति और विनाश का अन्तर स्पष्ट कीजिए तथा विद्या अविद्या का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक वाङ्मय में उपनिषदों का महत्व वर्णित कीजिए।
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् के प्रथम मन्त्र का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् के अनुसार सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करने का मार्ग क्या है।
- प्रश्न- असुरों के प्रसिद्ध लोकों के विषय में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परमेश्वर के विषय में ईशावास्योपनिषद् का क्या मत है?
- प्रश्न- किस प्रकार का व्यक्ति किसी से घृणा नहीं करता? .
- प्रश्न- ईश्वर के ज्ञाता व्यक्ति की स्थिति बतलाइए।
- प्रश्न- विद्या एवं अविद्या में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- विद्या एवं अविद्या (ज्ञान एवं कर्म) को समझने का परिणाम क्या है?
- प्रश्न- सम्भूति एवं असम्भूति क्या है? इसका परिणाम बताइए।
- प्रश्न- साधक परमेश्वर से उसकी प्राप्ति के लिए क्या प्रार्थना करता है?
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् का वर्ण्य विषय क्या है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का नया विचार प्रस्तुत कीजिए तथा जैन स्याद्वाद की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन से क्या अभिप्राय है? बौद्ध धर्म के साहित्य तथा प्रधान शाखाओं के विषय में बताइये तथा बुद्ध के उपदेशों में चार आर्य सत्य क्या हैं?
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का सामान्य स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- क्या बौद्धदर्शन निराशावादी है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विविध दर्शनों के अनुसार सृष्टि के विषय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तर्क-प्रधान न्याय दर्शन का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन से क्या अभिप्राय है? पतंजलि ने योग को कितने प्रकार बताये हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मीमांसा का क्या अर्थ है? जैमिनी सूत्र क्या है तथा ज्ञान का स्वरूप और उसको प्राप्त करने के साधन बताइए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में ईश्वर पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- षड्दर्शन के नामोल्लेखपूर्वक किसी एक दर्शन का लघु परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। श्रीमद्भगवतगीता : द्वितीय अध्याय
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता' द्वितीय अध्याय के अनुसार आत्मा का स्वरूप निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- 'श्रीमद्भगवद्गीता' द्वितीय अध्याय के आधार पर कर्म का क्या सिद्धान्त बताया गया है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता द्वितीय अध्याय के आधार पर श्रीकृष्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता को कितने अध्यायों में बाँटा गया है? इसके नाम लिखिए।
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता का प्रतिपाद्य विषय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। तर्कसंग्रह ( आरम्भ से प्रत्यक्ष खण्ड)
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं पदार्थोद्देश निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं द्रव्य निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं गुण निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं प्रत्यक्ष प्रमाण निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अन्नम्भट्ट कृत तर्कसंग्रह का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन एवं उसकी परम्परा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के पदार्थों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण को समझाइये।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के आधार पर 'गुणों' का स्वरूप प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- न्याय तथा वैशेषिक की सम्मिलित परम्परा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक के प्रकरण ग्रन्थ का विवेचन कीजिए॥
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान प्रमाण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। तर्कसंग्रह ( अनुमान से समाप्ति पर्यन्त )
- प्रश्न- 'तर्कसंग्रह ' अन्नंभट्ट के अनुसार अनुमान प्रमाण की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तर्कसंग्रह के अनुसार उपमान प्रमाण क्या है?
- प्रश्न- शब्द प्रमाण को आचार्य अन्नम्भट्ट ने किस प्रकार परिभाषित किया है? विस्तृत रूप से समझाइये।